निजीकरण क्या है?। (What is Privatization in Hindi)

 निजीकरण (Privatization) क्या है?

परिभाषा – सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की कमान निजी क्षेत्र को हस्तांतरित करना।

सरल शब्दों में, निजीकरण का मतलब है सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की हिस्सेदारी को निजी क्षेत्र की कंपनियों को बेचना है।

निजीकरण दो तरह से किया जाता है।

1- सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में पूरी हिस्सेदारी बेचना।

2- सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में हिस्सेदारी 50% से कम कर देना ताकि प्रबंधन निजी कंपनियों के पास चला जाए।

निजीकरण के फायदे और नुकसान

निजीकरण के लाभ (फायदे)

1- बेहतर माल और सेवाएं

2- संसाधनों का बेहतर उपयोग।

3- प्रतिस्पर्धा के कारण सस्ता माल और सेवाएं।

4- कम भ्रष्टाचार

निजीकरण के दोष (नुकसान)

1- एकाधिकार से खतरा

2- निजी क्षेत्र केवल अपने हित के लिए काम करता है।

निजीकरण के कारण 

1- सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का खराब प्रदर्शन।

2- सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में राजनीतिक नेताओं का हस्तक्षेप।

3- सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में आवश्यकता से अधिक कर्मचारी हैं, जहां 2 लोग काम कर रहे हैं, जबकि वहाँ एक व्यक्ति की आवश्यकता है।

4- सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का घाटे में चलना।

5- निर्णय लेने की धीमी प्रक्रिया, इससे परियोजनाओं में देरी।

6- सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में आलसी कर्मचारियों का होना।

निजीकरण के उद्देश्य 

1- कंपनियों की प्रोफिटेबिलिटी बढ़ाने के लिए।

2- सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की उत्पादकता और दक्षता बढ़ाने के लिए।

3- संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए।

भारत मे निजीकरण की शुरुआत कब हुई?

भारत में निजीकरण की शुरुआत तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने 1991 में एक बड़े आर्थिक संकट के दौरान की थी।

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