प्रत्यक्ष विदेशी निवेश ( FDI ) क्या है?
एक देश की कंपनी द्वारा दूसरे देश में किए गए निवेश को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) कहा जाता है। लेकिन अगर वह कंपनी किसी अन्य देश की कंपनी में 10% या अधिक हिस्सेदारी खरीदती है तभी इस निवेश को विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) कहा जाता है।
यदि कोई कंपनी किसी अन्य देश की कंपनी में 10% से कम हिस्सेदारी खरीदती है, तो हम इसे विदेशी पोर्टफोलियो निवेश ( FPI ) कहते हैं।
FDI full form in Hindi
FDI – प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI)
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश ( FDI ) के प्रकार ( Types of FDI )
- Horizontal FDI ( हॉरिजॉन्टल एफडीआई )- हॉरिजॉन्टल एफडीआई का मतलब है कि यदि कोई विदेशी कंपनी उसी क्षेत्र में निवेश करें जिस क्षेत्र वह काम करती है।
उदाहरण के लिए – यदि फेसबुक दूसरे देश मे किसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म खरीदता है तो ये हॉरिजॉन्टल एफडीआई कहलाएगा।
- Vertical FDI ( वर्टीकल एफडीआई ) – जब कोई कंपनी किसी अन्य देश में अपनी आपूर्ति श्रृंखला में निवेश करती है, तो हम इसे वर्टीकल एफडीआई कहते हैं।
उदाहरण के लिए – Apple मोबाइल बनाता है, अगर Apple किसी दूसरे देश की कंपनी में निवेश करता है जो Apple के मोबाइल के लिए कैमरे बनाती है। इसका मतलब Apple अपनी सप्लाई-चेन में निवेश कर रहा है।
- कांग्लोमरेट FDI – जब कोई कंपनी किसी दूसरे देश में बिल्कुल अलग क्षेत्र में निवेश करती है।
उदाहरण के लिए – Apple एक सॉफ्टवेयर कंपनी है, अगर Apple दूसरे देश में FMGC सेक्टर में निवेश करता है तो इसे कांग्लोमरेट FDI कहा जाएगा।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लाभ
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा – एफडीआई अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देता है, एफडीआई के कारण हर देश आपूर्ति श्रृंखला से जुड़ा हुआ है।
- क्षेत्रीय और वैश्विक तनाव में कमी – आज दुनिया आपूर्ति श्रृंखला के माध्यम से जुड़ी हुई है, देशों की निर्भरता बढ़ी है। इससे देशों के बीच किसी भी युद्ध की संभावना कम हो गई है।
- प्रौद्योगिकी, ज्ञान और संस्कृति को साझा करना – विदेशी प्रत्यक्ष निवेश ( FDI ) नवीनतम प्रौद्योगिकी, अनुभव और ज्ञान के हस्तांतरण की अनुमति देता है।
- कम उत्पादन लागत – कई विदेशी कंपनियां सस्ते कुशल श्रम के कारण भारत, चीन और वियतनाम जैसे देशों में निवेश करती हैं, इससे उत्पादन की लागत भी कम हो जाती है, और विकासशील देशों में रोजगार बढ़ता है।
- विविधीकरण ( Diversification ) – अगर हम इसे निवेशकों के नजरिए से देखें तो यह उनके लिए भी लाभदायक है। निवेशक और व्यवसाय दूसरे देशों में निवेश करके विविधता ला सकते हैं। यह व्यापार के लिए एक देश पर निर्भरता कम करता है।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का नुकसान
- घरेलू नौकरियों का नुकसान – जब एक घरेलू कंपनी विदेश में निवेश करके वहाँ विनिर्माण करती है, इससे देश में रोजगार के अवसर कम हो जाते है।
भारत मे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश ( FDI )
भारत ने अप्रैल-नवंबर 2020 में 58.37 बिलियन डॉलर एफडीआई आकर्षित किया।
वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान भारत में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) के 5 सबसे बड़े स्रोत –
1- मॉरीशस ( Mauritius )
2- नीदरलैंड ( Nederland )
3- अमेरिका ( America )
4- जापान ( Japan )
5- फ्रांस ( France )
भारत के आर्थिक विकास में विदेशी निवेश की भूमिका।
1- रोजगार सृजन।
2- विनिर्माण क्षमता में बढ़त।
3- विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़त।
4- सप्लाई चेन में भारत की भूमिका बढ़ी।
5- अन्य देशों के साथ भारत का व्यापार बढ़ा।
FDI के बढ़ने के पीछे क्या कारण होते है?
1- सरकार का स्थिर होना।
2- अच्छी व्यपार नीति।
3- वस्तुओं और सेवाओं की बढ़ती हुई मांग।
4- देश की भावी संभावनाएं।
5- अर्थव्यवस्था का अच्छा प्रदर्शन।
6- निवेशक अनुकूल सरकारी नीतियां।
7- कर में छूट।