अर्थव्यवस्था के प्रकार
इस पोस्ट में हम जानेंगे कि अर्थव्यवस्था के प्रकार ( Types of Economy in Hindi ), उनके फायदे और नुकसान। हम उम्मीद करते है कि इस पोस्ट को पढ़कर आपके सारे सवालों के जवाब मिल जाएंगे।

अर्थव्यवस्थाएं तीन प्रकार की होती हैं।
- 1-मुक्त बाजार
- 2-मिश्रित अर्थव्यवस्था
- 3-कमान अर्थव्यवस्था
1-मुक्त बाजार

मुक्त बाजार – आमतौर पर लोकतांत्रिक राज्यों में होती हैं। एक मुक्त अर्थव्यवस्था में व्यवसायी और व्यक्तियों को अपना निर्णय लेने की स्वतंत्रता होती है। मुक्त बाजार में व्यक्ति और व्यवसाय अपने हित को देखते हुए निर्णय लेते हैं इससे नवाचार होता है, और प्रतिस्पर्धी बाजार में उत्पादों का उचित मूल्य तय होता है।
मुक्त बाजार के फायदे
मुक्त बाजार में प्रतिस्पर्धा होने के कारण वस्तुओं और सेवाओं की गुणवत्ता अच्छी होती है, वस्तुओं और सेवाओं की कीमत भी सस्ती होती है और नवाचार भी होता है, लोगो की आर्थिक हालात में भी सुधार होता है और पूंजी का भी निर्माण होता है।
मुक्त बाजार के नुकसान
मुक्त बाजार में सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होता इस कारण एकाधिकार की संभावना बढ़ जाती है। हम जानते कि जिस क्षेत्र में एकाधिकार होता है वहाँ पर नवाचार नही होता और वस्तुओ और सेवाओं के लिए हमें ज्यादा खर्च करना पड़ता है।
मुक्त बाजार में एक और बहुत बड़ी समस्या खड़ी होती है वहाँ पर समाज मे लोगो की आय में अन्तर बढ़ने लगता है। कुछ चंद लोगो के पास बहुत ज्यादा संपत्ति होती है कुछ के पास अपना पेट भरने तक के पैसे नही होते।
2-मिश्रित अर्थव्यवस्था

एक मिश्रित अर्थव्यवस्था मुक्त बाजार और कमांड अर्थव्यवस्था का संयोजन है। मिश्रित अर्थव्यवस्था में उपभोक्ताओं की सुरक्षा और एकाधिकार को रोकने के लिए सरकार कुछ कदम उठाती है। इसका मतलब है कि अधिकांश राष्ट्रों की मिश्रित अर्थव्यवस्था है।
उदाहरण- भारत में हम घरेलू खिलाड़ियों की सुरक्षा के लिए कुछ क्षेत्रों में सब्सिडी और प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए अर्थव्यवस्था में सरकार का हस्तक्षेप देखते हैं।
मिश्रित अर्थव्यवस्था के फायदे
मिश्रित अर्थव्यवस्था में सरकार एकाधिकार को रोकने के लिए कई कदम उठाती है। जिससे उपभोक्ताओं को सस्ते और अच्छे गुणवत्ता वाले उत्पाद मिल सकें।
देखा जाए मिश्रित अर्थव्यवस्था के कई फायदे है जैसे एकाधिकार नही हो पाता और सरकार कुछ क्षेत्रों को सब्सिडी भी देती है।
मिश्रित अर्थव्यवस्था के नुकसान
मिश्रित अर्थव्यवस्था के कई बुरे प्रभाव भी है जैसे एक उदाहरण लेते है सरकार किसानों को सब्सिडी देती है सब्सिडी के कारण हमारा उत्पाद महंगा हो जाता है इससे हमारे निर्यात पर फर्क पड़ता है।
3-कमान अर्थव्यवस्था

कमान अर्थव्यवस्था आमतौर पर कम्युनिस्ट या निरंकुश राज्यों में होती है। जहां केंद्र सरकार देश में आर्थिक निर्णय लेती है। उदहारण – चीन हाल ही में पूंजीवादी दुनिया की ओर बढ़ा है। कम्युनिस्ट राज्य में, केंद्रीय सरकार पूरी अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करती है, संसाधनों का आवंटन करती है और वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में हेरफेर करती है।
लेकिन आज की दुनिया में कमांड अर्थव्यवस्था संभव नहीं है क्योंकि लोग अपने स्वयं के हितों के लिए काम करते हैं, लेकिन एक कमांड अर्थव्यवस्था में, लोगों या व्यवसाय का एकाधिकार होता है और उत्पादों के उचित मूल्य तय नहीं हो पाते। इसलिए कमांड अर्थव्यवस्था में ज्यादा आर्थिक वृद्धि नहीं हो पाती।
कमान अर्थव्यवस्था के नुकसान
लोग हमेशा अपने हित के लिए काम करते है यदि सरकार संसाधनों को काबू करती है तो इससे नवाचार नही हो पाता।
लोगो की आर्थिक हालत सुधर नही पाती और देश का आर्थिक विकास नही हो पाता। जिससे उस देश जन्म लेती है गरीबी, भुखमरी जो मानवता के लिए बहुत खतरनाक है।
अन्य प्रकार की अर्थव्यवस्था ( Other Types of Economy in Hindi )
जैसे विकसित अर्थव्यवस्था, विकासशील अर्थव्यवस्था और ग्रीन इकोनॉमी।
विकसित अर्थव्यवस्था – ऐसे देश जहां बुनियादी ढांचा अच्छा है, स्वास्थ्य सुविधाएं अच्छी हैं और जहां प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय $12000 डॉलर या उससे अधिक है, हम इन देशों को उच्च आय वाले देश या विकसित देश कहते हैं। जैसे – USA, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी और फ्रांस।
विकासशील अर्थव्यवस्था – जिन देशों में बुनियादी ढांचा अच्छा नहीं है, वहां बहुत ज्यादा गरीबी है, बेरोजगारी की समस्या है, लेकिन वह देश धीरे-धीरे विकास कर रहा है। हम उस देश को एक विकासशील देश कहते हैं। जैसे – इंडिया, बांग्लादेश और पाकिस्तान।
ग्रीन इकोनॉमी – ग्रीन अर्थव्यवस्था शब्द का इस्तेमाल हाल में ही सुरु हुआ है एसे देश जहाँ अधिकांश बिजली अक्षय संसाधनों ( Renewable Resources ) से उत्पन्न होती है। लेकिन अभी दुनिया का कोई भी देश पूरी तरह से नवीकरणीय संसाधनों पर निर्भर नहीं है।