सांकेतिक भाषा किसे कहते हैं? सांकेतिक भाषा की परिभाषा, उदाहरण, विशेषताएं और महत्व
सांकेतिक भाषा किसे कहते हैं?
“जब कोई व्यक्ति संकेतों और इशारों के माध्यम से अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त करता है, तो भाषा के इस रूप को सांकेतिक भाषा कहते हैं।”
सरल शब्दों में कहें तो जब कोई व्यक्ति अपने हाथों, उंगलियों, आंखों और चेहरे के भावों से इशारा करके अपनी बात कहता है तो उसे सांकेतिक भाषा कहते हैं. बच्चा अपनी माँ से सांकेतिक भाषा में ही बात करता है।
उदाहरण: *यातायात पुलिस अधिकारी द्वारा हाथों से इशारा करके ट्रैफिक नियंत्रित करना
*अपना सिर हिलाकर हां या ना कहना
सांकेतिक भाषा का प्रयोग अधिकतर वे लोग करते हैं जो बोलने में असमर्थ हैं. लेकिन हम लोग भी अक्सर सांकेतिक भाषा का प्रयोग करते हैं. एक बच्चा अपनी मां को इशारों से ही अपनी बात समझाता है।
सांकेतिक भाषा का प्रयोग मौखिक भाषा के साथ किया जाता है. उदाहरण के लिए जब हम किसी को रुकने के लिए कहते हैं तो अक्सर हाथ से भी रुकने का इशारा करते हैं।
सांकेतिक भाषा का प्रयोग हजारों वर्षों से होता आ रहा है।
सांकेतिक भाषा की विशेषताएं
सांकेतिक भाषा उन लोगों की मदद करती है जो बोलने में असमर्थ हैं।
सांकेतिक भाषा में अक्सर संकेतों, इशारों या चित्रों का उपयोग किया जाता है।
केवल सांकेतिक भाषा का उपयोग करके अपने विचारों और भावनाओं को दूसरों को समझाना बहुत कठिन है।
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