रामनरेश त्रिपाठी का जीवन परिचय, रामनरेश त्रिपाठी की बायोग्राफी, जीवनी और भाषा शैली | Ram Naresh Tripathi Biography in Hindi
रामनरेश त्रिपाठी हिन्दी भाषा के छायावाद युग के कवि थे. वह गाँव के गीतों को संकलित करने वाले पहले हिंदी कवि थे, जिन्हें ‘कविता कौमुदी’ के नाम से जाना जाता है. उन्होंने कविताएँ, कहानियाँ, उपन्यास, आत्मकथा, संस्मरण, बाल साहित्य लिखा।
रामनरेश त्रिपाठी जी ने अपने पूरे जीवनकाल में लगभग सौ पुस्तकें लिखीं।
रामनरेश त्रिपाठी का जीवन परिचय
पूरा नाम | पंडित रामनरेश त्रिपाठी |
जन्म | 4 मार्च 1889 |
जन्म स्थान | कोइरीपुर, सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश |
मृत्यु | 16 जनवरी 1962 (72 साल की उम्र में) प्रयागराज, उत्तर प्रदेश |
पेशा | लेखक & कवि |
पिता का नाम | पंडित रामदत्त त्रिपाठी |
माता का नाम | ज्ञात नहीं |
भाषा | खड़ी बोली |
शैली | वर्णनात्मक, उपदेशात्मक |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
पुरस्कार | हिंदुस्तान अकादमी पुरस्का |
रामनरेश त्रिपाठी का जीवन परिचय। | Ram Naresh Tripathi Biography in Hindi
रामनरेश त्रिपाठी का जन्म 4 मार्च 1889 को कोइरीपुर, सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था. उनके पिता रामदत्त त्रिपाठी भारतीय सेना में सूबेदार के पद पर थे. पंडित रामदत्त त्रिपाठी का रक्त पंडित रामनरेश त्रिपाठी की रगों में धर्मनिष्ठा, कर्तव्यनिष्ठा व राष्ट्रभक्ति की भावना के रूप में बहता था. उनके पिता एक धार्मिक और गुणी ब्राह्मण थे. दृढ़ता, निर्भीकता और आत्मविश्वास जैसे गुण उन्हें विरासत में मिले थे।
उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के एक प्राइमरी स्कूल में प्राप्त की. उन्होंने सिर्फ आठवीं कक्षा तक पढ़ाई की है. अट्ठारह वर्ष की आयु में पिता से अनबन होने पर वह कलकत्ता चले गए. उनमें कविता के प्रति रुचि प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करते समय जाग्रत हुई थी।
संक्रामक रोग के कारण वह ज्यादा दिन तक कोलकाता में नहीं रह सके. किसी व्यक्ति की सलाह मानकर वह स्वास्थ्य सुधार के लिए जयपुर के फतेहपुर ग्राम में सेठ रामवल्लभ नेवरिया के पास चले गए. वहाँ वह शीघ्र ही इलाज व स्वास्थ्यप्रद जलवायु पाकर रोगमुक्त हो गए।
उन्होंने सेठ रामवल्लभ के पुत्रों की शिक्षा-दीक्षा की जिम्मेदारी को कुशलतापूर्वक निभाया. इस दौरान उन्होंने “हे प्रभो आनन्ददाता, ज्ञान हमको दीजिये” जैसी बेजोड़ रचना कर डाली जो आज भी अनेक विद्दालयों में प्रार्थना के रूप में गाई जाती है।
सन् 1915 में पंडित त्रिपाठी जी ज्ञान और अनुभव का खजाना लेकर प्रयाग चले गए. वहाँ उन्होंने थोडी पूंजी से प्रकाशन का व्यवसाय भी आरम्भ किया. वर्ष 1920 में उन्होंने 21 दिनों में हिन्दी के प्रथम एवं सर्वोत्कृष्ट राष्ट्रीय खण्डकाव्य “पथिक” की रचना की. इसके अतिरिक्त “मिलन” और “स्वप्न” भी उनके प्रसिद्ध मौलिक खण्डकाव्यों में शामिल हैं. स्वपनों के चित्र उनका पहला कहानी संग्रह था।
महात्मा गांधी के निर्देश पर रामनरेश त्रिपाठी जी ने हिंदी साहित्य सम्मेलन के प्रचार मंत्री के रूप में हिन्दी जगत के दूत बनकर दक्षिण भारत का द्वारा भी किया था. वे एक कट्टर गांधीवादी देशभक्त और राष्ट्रीय सेवक थे।
वह गाँव के गीतों को संकलित करने वाले पहले हिंदी कवि थे. उन्होंने गांव-गांव जाकर, रात-रात भर घरों के पिछवाड़े बैठकर सोहर और विवाह के गीतों को सुना और लगभग 16 वर्षों के अथक परिष्र्म से ‘कविता कौमुदी’ संकलन तैयार किया।
‘कविता कौमुदी’ 15000 से भी अधिक लोक गीतों का संग्रह है, जिन्हें उन्होंने गांव-गांव जाकर संकलित किया था. इसके 6 भाग उन्होंने 1917 से लेकर 1933 तक प्रकाशित किए थे।
मृत्यु {Death}
16 जनवरी 1962 को 72 वर्ष की उम्र में प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में उनका निधन हो गया था।
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रामनरेश त्रिपाठी की भाषा शैली
रामनरेश त्रिपाठी की भाषा भावपूर्ण और सरल खड़ी बोली है. उन्होंने संस्कृत के शब्दों का प्रयोग किया है. उन्होंने अपने काव्य में कहीं-कहीं पर उर्दू के छंदों का भी प्रयोग किया है. त्रिपाठी जी ने मुख्य रूप से वर्णनात्मक और उपदेशात्मक शैली का प्रयोग किया है. त्रिपाठी जी की रचनाओं में विशेषकर श्रृंगार, शांत और करुण रसों का प्रयोग हुआ है।
उनके काव्य में अलंकारों का भी स्वाभाविक रूप से उपयोग मिलता है. उन्होंने अनुप्रास, रूपक, उपमा, उत्प्रेक्षा आदि अलंकारों का प्रयोग किया है।
साहित्य में स्थान
रामनरेश त्रिपाठी जी छायावाद युग के लोकप्रिय और प्रतिष्ठित कवियों में से एक थे. उन्होंने हिंदी साहित्य में अमूल्य योगदान दिया है।
कृतियाँ:-
रामनरेश त्रिपाठी की चार काव्य-कृतियाँ मुख्य रूप से उल्लेखनीय है –
मिलन (1918) 13 दिनों में रचित
पथिक (1920) 21 दिनों में रचित
मानसी (1927)
स्वप्न (1929) 15 दिनों में रचित * इसके लिए उन्हें हिन्दुस्तान अकादमी का पुरस्कार मिला
मुक्तक:-
मारवाड़ी मनोरंजन
आर्य संगीत शतक
कविता-विनोद
क्या होम रूल लोगे
मानसी।
(काव्य) प्रबंधः–
मिलन
पथिक
स्वप्न
कहानी:-
तरकस
आखों देखी कहानियां
स्वपनों के चित्र
नखशिख
उन बच्चों का क्या हुआ..
21 अन्य कहानियाँ
उपन्यास:-
वीरांगना
वीरबाला
मारवाड़ी और पिशाचनी
सुभद्रा और लक्ष्मी
नाटक:-
जयंत
प्रेमलोक
वफ़ाती चाचा
अजनबी
पैसा परमेश्वर
बा और बापू
कन्या का तपोवन
व्यंग्य:-
दिमाग़ी ऐयाशी
स्वप्नों के चित्र
अनुवाद:-
इतना तो जानो (अटलु तो जाग्जो – गुजराती से)
कौन जागता है (गुजराती नाटक)
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
रामनरेश त्रिपाठी का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
रामनरेश त्रिपाठी का जन्म 4 मार्च 1889 को कोइरीपुर, सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था।
रामनरेश त्रिपाठी की प्रमुख कृतियां कौन कौन है?
रामनरेश त्रिपाठी की चार काव्य-कृतियाँ मुख्य रूप से उल्लेखनीय है –
मिलन (1918) 13 दिनों में रचित
पथिक (1920) 21 दिनों में रचित
मानसी (1927)
स्वप्न (1929) 15 दिनों में रचित * इसके लिए उन्हें हिन्दुस्तान अकादमी का पुरस्कार मिला
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