मौखिक भाषा किसे कहते हैं? मौखिक भाषा की परिभाषा, महत्व, उदाहरण
मौखिक भाषा की परिभाषा
“जब कोई व्यक्ति अपने विचारों एवं भावनाओं को मुँह से बोलकर व्यक्त करता है तो उसे मौखिक भाषा कहते हैं।”
Or
जब कोई व्यक्ति बोलकर अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त करता है और दूसरा व्यक्ति सुनकर उसे समझता है, तो भाषा के इस रूप को हम मौखिक भाषा कहते हैं।
सरल शब्दों में कहें तो अपने विचारों एवं भावनाओं को बोलकर व्यक्त करना ही मौखिक भाषा है।
उदाहरण – जब आप किसी से फोन पर बात करते हैं तो वहां भी आप मौखिक भाषा का प्रयोग करते हैं।
मौखिक भाषा के उदाहरण
1- एक-दूसरे से आमने-सामने बात करना
2- फोन पर बात करना
3- भाषण या रेडियो सुनना
मौखिक भाषा का महत्व
मौखिक भाषा संचार का प्राथमिक माध्यम है. यह व्यक्तियों को अपने विचारों और भावनाओं को दूसरों के सामने व्यक्त करने की अनुमति देता है।
मौखिक भाषा बातचीत और शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
लिखित भाषा की तुलना में मौखिक भाषा को आसानी से और जल्दी समझा जा सकता है।
लिखित भाषा को पढ़ने के लिए शिक्षित होना आवश्यक है, लेकिन मौखिक भाषा तो बच्चा स्वयं ही सीख जाता है।
बच्चा पहले मौखिक भाषा ही सीखता है।
लिखित और मौखिक भाषा में अंतर
लिखित भाषा – जब हम अपने विचारों एवं भावनाओं को लिखकर व्यक्त करते हैं तो उसे लिखित भाषा कहते हैं।
उदाहरण – समाचार पत्र, पत्र, पुस्तकें, लेख आदि।
Vs
मौखिक भाषा – जब हम बोलकर अपने विचार व्यक्त करते हैं तो उसे मौखिक भाषा कहते हैं।
उदाहरण – आपस में बातचीत करना, फोन पर बात करना आदि।
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