कवि केदारनाथ सिंह का जीवन परिचय, केदारनाथ सिंह की रचनाएँ {Kedarnath Singh (Poet) Biography, Quotes, Death, Sahityik Parichay, Awards}
केदारनाथ सिंह कौन थे?
केदारनाथ सिंह एक भारतीय कवि, निबंधकार और हिंदी लेखक थे. उन्हें उनके कविता संग्रह, अकाल में सरस {सूखे में क्रेन} के लिए हिंदी में साहित्य अकादमी पुरस्कार (1989) से सम्मानित किया गया था।
उन्हें वर्ष 2013 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. केदारनाथ जी ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त करने वाले 10वें हिंदी लेखक थे. ज्ञानपीठ पुरस्कार किसी व्यक्ति को दिया जाने वाला भारत का सर्वोच्च साहित्य सम्मान है। (1)
केदारनाथ सिंह का साहित्यिक परिचय

पूरा नाम | केदारनाथ सिंह |
जन्म | 7 जुलाई 1934 |
जन्म स्थान | चकिया, बनारस राज्य, ब्रिटिश भारत |
मृत्यु | 19 मार्च 2018 (83 वर्ष की आयु में) |
मृत्यु स्थान | नई दिल्ली, भारत |
पेशा | कवि, लेखक |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
पुरस्कार | साहित्य अकादमी पुरस्कार {1989} ज्ञानपीठ पुरस्कार {2013} |
केदारनाथ सिंह का परिवार
पिता का नाम | डोमन सिंह |
माता का नाम | लालझरी देवी |
भाई-बहन | ज्ञात नहीं |
पत्नी का नाम | ज्ञात नहीं |
बच्चे | ज्ञात नहीं |
केदारनाथ सिंह का जीवन परिचय। | Kedarnath Singh Biography in Hindi
केदारनाथ सिंह का जन्म 7 जुलाई 1934 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के चकिया गांव में हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के प्राथमिक विद्यालय से की और फिर वह वाराणसी चले गए और वाराणसी के उदय प्रताप कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की. उसके बाद उन्होंने 1956 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से एमए पास किया और 1964 में उसी विश्वविद्यालय से “आधुनिक हिन्दी कविता में बिंब विधान” पर पीएचडी की डिग्री भी प्राप्त की थी।
उन्होंने कुछ समय गोरखपुर में एक हिंदी शिक्षक के रूप में बिताया है. इसके बाद, उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में एक प्रोफेसर और हिंदी भाषा विभाग के प्रमुख के रूप में भी कार्य किया है।
मृत्यु {Death}
कवि केदारनाथ सिंह जी का 19 मार्च 2018 को नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स हॉस्पिटल में 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया था।
केदारनाथ सिंह जी की मुख्य रचनाएँ
उनकी प्रमुख रचनाएं निम्नलिखित हैं: –
- अभी बिल्कुल अभी
- जमीन पक रही है
- तॉल्सताय और साइकिल
- ’तीसरा सप्तक’ में शामिल रचनाएँ
- अकाल में सारस
- यहाँ से देखो
- बाघ
- उत्तर कबीर और अन्य कविताएँ
- सृष्टि पर पहरा
कुछ रचनाएँ {अन्य रचनाएँ}
- रात पिया पिछवारे / केदारनाथ सिंह
- अंधेरे पाख का चांद / केदारनाथ सिंह
- एक नये दिन के साथ / केदारनाथ सिंह
- एक पारिवारिक प्रश्न / केदारनाथ सिंह
- एक मुकुट की तरह / केदारनाथ सिंह
- काली मिट्टी / केदारनाथ सिंह
- कुछ सूत्र जो एक किसान बाप ने बेटे को दिए / केदारनाथ सिंह
- खोल दूं यह आज का दिन / केदारनाथ सिंह
- गर्मी में सूखते हुए कपड़े / केदारनाथ सिंह
- घड़ी / केदारनाथ सिंह
- चट्टान को तोड़ो वह सुन्दर हो जायेगी / केदारनाथ सिंह
- छोटे शहर की एक दोपहर / केदारनाथ सिंह
- जनहित का काम / केदारनाथ सिंह
- जब वर्षा शुरू होती है / केदारनाथ सिंह
- जाना / केदारनाथ सिंह
- जाड़ों के शुरू में आलू / केदारनाथ सिंह
- जूते / केदारनाथ सिंह
- जे.एन.यू. में हिंदी / केदारनाथ सिंह
- झरने लगे नीम के पत्ते बढ़ने लगी उदासी मन की / केदारनाथ सिंह
- तुम आयीं / केदारनाथ सिंह
- दाने / केदारनाथ सिंह
- दिशा / केदारनाथ सिंह
- दीपदान / केदारनाथ सिंह
- दुपहरिया / केदारनाथ सिंह
- नए कवि का दुख / केदारनाथ सिंह
- नदी / केदारनाथ सिंह
- निराला को याद करते हुए / केदारनाथ सिंह
- पानी में घिरे हुए लोग / केदारनाथ सिंह
- पूँजी / केदारनाथ सिंह
- पत्नी की अट्ठाइसवीं पुण्यतिथि पर / केदारनाथ सिंह
- प्रो० वरयाम सिंह / केदारनाथ सिंह
- प्रक्रिया / केदारनाथ सिंह
- फसल / केदारनाथ सिंह
- बंगाली बाबू / केदारनाथ सिंह
- बढ़ई और चिड़िया / केदारनाथ सिंह
- बनारस / केदारनाथ सिंह
- बसन्त / केदारनाथ सिंह
- बसंत / केदारनाथ सिंह
- बादल ओ! / केदारनाथ सिंह
- बुनाई का गीत / केदारनाथ सिंह
- मंच और मचान (लम्बी कविता) / केदारनाथ सिंह
- मुक्ति / केदारनाथ सिंह
- मेरी भाषा के लोग / केदारनाथ सिंह
- यह अग्निकिरीटी मस्तक / केदारनाथ सिंह
- यह पृथ्वी रहेगी / केदारनाथ सिंह
- रक्त में खिला हुआ कमल / केदारनाथ सिंह
- विद्रोह / केदारनाथ सिंह
- शहर में रात / केदारनाथ सिंह
- शहरबदल / केदारनाथ सिंह
- शाम बेच दी है / केदारनाथ सिंह
- शारद प्रात / केदारनाथ सिंह
- सन् ४७ को याद करते हुए / केदारनाथ सिंह
- सार्त्र की क़ब्र पर / केदारनाथ सिंह
- सुई और तागे के बीच में / केदारनाथ सिंह
- सूर्यास्त के बाद एक अँधेरी बस्ती से गुजरते हुए / केदारनाथ सिंह
- सृष्टि पर पहरा (कविता) / केदारनाथ सिंह
- हक दो / केदारनाथ सिंह
- हाथ / केदारनाथ सिंह
नवगीत
- रात पिया पिछवारे / केदारनाथ सिंह
- दुपहरिया / केदारनाथ सिंह
- झरने लगे नीम के पत्ते बढ़ने लगी उदासी मन की / केदारनाथ सिंह
- फागुन का गीत / केदारनाथ सिंह
- कुहरा उठा / केदारनाथ सिंह
- विदा गीत / केदारनाथ सिंह
- धानों का गीत / केदारनाथ सिंह
- पात नए आ गए / केदारनाथ सिंह
- पूर्वाभास / केदारनाथ सिंह
@Source: कविताकोश
केदारनाथ सिंह की काव्य विशेषता
जटिल विषयों पर बेहद सरल और आम भाषा में लेखन उनकी रचनाओं की अहम विशेषता है. केदारनाथ सिंह की भाषा में बिंबमयता, वैचारिकता और सहजता-ये तीनों गुण विशेष रूप से उद्घाटित हुए हैं. बिंब-विधान पर उन्होंने अधिक बल दिया है. केदारनाथ सिंह ने अपनी कविताएं में सरल, रोजमर्रा की भाषा और छवियों का प्रयोग है जो जटिल विषयों को व्यक्त करने के लिए एक साथ जुड़ती हैं. संस्कृति समीक्षक और कवि अशोक वाजपेयी ने कहा था कि, “वह उपस्थिति और अनुपस्थिति दोनों, प्यार और नुकसान, चिंताओं और सवालों के कवि थे।”
केदारनाथ सिंह: पुरस्कार/सम्मान {Award & Honours}
- 1989 में साहित्य अकादमी पुरस्कार
- वर्ष 2013 में ज्ञानपीठ पुरस्कार
- व्यास सम्मान
- मध्य प्रदेश का मैथिलीशरण गुप्त सम्मान
- उत्तर प्रदेश का भारत-भारती सम्मान
- बिहार का दिनकर सम्मान
- केरल का कुमार आशान सम्मान
प्रमुख कार्य
- कविता संग्रह: अभी बिलकुल अभी, ज़मीन पाक रही है, यहाँ से देखो, अकाल में सारस, बाघ, टॉल्स्टॉय और साइकिल
- निबंध और कहानियां: मेरे समय के शब्द, कल्पना और छायावाद, हिंदी कविता में बिंब विधान, कब्रिस्तान में पंचायत
- अन्य: ताना बनाना
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
केदारनाथ सिंह का जन्म कब और कहां हुआ था?
केदारनाथ सिंह का जन्म 7 जुलाई 1934 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के चकिया गांव में हुआ था।
केदारनाथ सिंह की मृत्यु कब हुई थी?
केदारनाथ सिंह जी की मौत 83 वर्ष की आयु में 19 मार्च 2018 को नई दिल्ली में हुई थी।
केदारनाथ सिंह ने पीएचडी किस विश्वविद्यालय से की थी?
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय
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