अंगराज कर्ण को जन्म देने वाली माता कुंती थी और उनके पिता सूर्यदेव थे। कर्ण के नाम को लेकर कई कथा प्रचलित है। पहली कथा – कर्ण का नाम कर्ण इसीलिए पड़ा क्योंकि कर्ण का जन्म कवच और कुंडल के साथ हुआ था। कर्ण के कान बहुत ही सुंदर थे इसलिए कर्ण का नाम कर्ण पड़ा।
दूसरी – कर्ण नाम स्वमं भगवान सूर्य नारायण ने रखा था।
तीसरी – कर्ण का नाम कर्ण का पालनपोषण करने वाले पिता अधिरथ ने रखा था। अधिरथ महामहीम भीष्म के सारथी थे। अधिरथ को कर्ण गंगा की प्रवाह में प्राप्त हुए थे।
कर्ण के और नाम
1- अधिरथ पुत्र – क्योंकि कर्ण का पालनपोषण भीष्म के सारथी अधिरथ सुषेण ने किया था।
2- सूर्यपुत्र कर्ण – क्योंकि कर्ण सूर्य भगवान के अंश थे। उनका जन्म सूर्य नारायण के मंत्र उच्चारण के पश्चात हुआ था।
3- विजयधारी – क्योंकि भगवान परशुराम ने कर्ण को विजय धनुष दिया था। जो कि भगवान शिव का था। कहा जाता है कि जब तक ये धनुष कर्ण हाथ मे था तबतक उसे हराना असंभव था।
4- अंगराज कर्ण – क्योंकि दुर्योधन ने कर्ण को अंग देश का राजा घोषित किया था इसीलिए कर्ण को अंगराज भी कहा जाता है।
5- राधेय कर्ण – क्योंकि कर्ण अपनी पालनपोषण करने वाली माता राधा से बहुत प्रेम करते थे इसीलिए अपनी माता को सम्मान देने के लिए उन्होंने अपने नाम के आगे राधेय लगा लिए। इसीलिए उन्हें राधेय कर्ण भी कहा जाता है।
6- परशुराम शिष्य कर्ण – क्योंकि कर्ण के गुरु स्वमं भगवान परशुराम थे।
7- महारथी कर्ण – महारथी एक बहुत बड़े योद्धा को कहा जाता था। क्योंकि कर्ण एक बहुत बड़ा योद्धा था इसीलिए उसे महारथी कर्ण भी कहा जाता है।
8- कुंती पुत्र कर्ण – कुंती कर्ण की वास्तविक माता थी इसीलिए कर्ण को कुंती पुत्र कर्ण भी कहा जाता है।
9- दानवीर कर्ण – कर्ण बहुत बड़ा दानी था जब भी दानियों का नाम लिया जाता है उसमें कर्ण का नाम जरूर आता है। इसीलिए कर्ण को दानवीर कर्ण भी कहा जाता है।
10- सूट पुत्र कर्ण – लोगकर्ण का उपहाश सूट पुत्र कहके उड़ाते थे इसीलिए कर्ण को सूट पुत्र भी कहा जाता है।
11- मतृतिउनजय कर्ण – कर्ण को मतृतिउनजय भी कहा जाता है क्योंकि उसको हराना असंभव था।