अगर हम कुछ देर तक देख या सुन न पाए तो वे चंद पल हमें कई घंटे के बराबर प्रतीत होंगें, कुछ लोग तो इतने निराश हो जाएंगे कि उनके दिमाग में आत्महत्या के ख्याल भी आने लगेंगे।
देखने और सुनने में असमर्थ होना मृत्यु से कम नहीं है, लेकिन आज हम एक ऐसी शख्सियत के बारे में जानेंगे, जिन्होंने अंधी और बहरी होते हुए भी अपने जीवन में एक महान मुकाम हासिल किया, आज हम हेलेन केलर के जीवन के बारे में जानेंगे जो कला में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने वाली पहली अंधी और बहरी व्यक्ति थीं।
इसलिए आज हम Helen Keller Biography in Hindi, हेलेन केलर की जीवनी, हेलेन केलर स्टोरी, और उनके संघर्ष के बारे में जानेंगे।
हेलेन केलर कौन थीं?
हेलेन केलर एक अमेरिकी लेखक, व्याख्याता, समाजवादी और कार्यकर्ता थी. अंधे और बहरे होने के बावजूद भी, हेलेन केलर ने अपनी पढ़ाई पूरी की और सर्वश्रेष्ठ विक्रेता पुस्तक “द स्टोरी ऑफ माय लाइफ” लिखी. हेलेन केलर का पूरा जीवन हमारे लिए प्रेरणादायक है।
हेलेन केलर का जीवन परिचय
जन्म | 27 जून 1880 |
जन्म स्थान | टस्कम्बिया, अल्बामा, संयुक्त राज्य अमेरिका |
निधन | 1 जून 1968 (87 वर्ष की आयु में) |
मृत्यु का स्थान | ईस्टन, कनेक्टिकट संयुक्त राज्य अमेरिका |
माता-पिता | आर्थर हेनले केलर और कैथरीन एवरेट (एडम्स) केलर को “केट” के नाम से भी जाना जाता है। |
पुरस्कार | स्वतंत्रता का राष्ट्रपति पदक {Presidential Medal of Freedom} |
नागरिकता | संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) |
पुस्तकें | उन्होंने अपने पूरे जीवन में प्रसिद्ध पुस्तक “द स्टोरी ऑफ माय लाइफ” सहित 14 पुस्तकें लिखीं। |
हेलेन केलर के भाई-बहन | मिल्ड्रेड कैम्पबेल केलर और फिलिप ब्रुक्स केलर। दो पूर्व विवाह से जेम्स केलर और विलियम केलर। |
हेलेन केलर का जीवन परिचय। | Helen Keller Biography in Hindi

हेलन केलर का प्रारंभिक जीवन
हेलेन का जन्म 27 जून 1880 को उत्तरी अलबामा के एक छोटे से शहर टस्कम्बिया में हुआ था। उनके पिता का नाम आर्थर केलर था, जो कन्फेडरेट सेना में एक कप्तान थे। और उनके पिता जी ने कुछ वर्षों तक टस्कम्बिया के एक स्थानीय समाचार पत्र में एक संपादक के रूप में काम किया था और उनकी माँ का नाम केट एडम्स था जो आर्थर केलर की दूसरी पत्नी थीं।
हेलेन का परिवार बहुत ज्यादा अमीर तो नहीं था; लेकिन उन्हें कपास की खेती से पैसे आते थे। हेलेन का जन्म एक साधारण लड़की के रूप में हुआ था, वह भी सामान्य बच्चों की तरह देख और सुन सकती थी। 6 महीने की उम्र से, हेलेन ने बोलना शुरू कर दिया और जब हेलेन 1 साल की हुई, तो उसने चलना भी शुरू कर दिया। हेलेन को पाकर उसका परिवार भी बहुत खुश था, आखिरकार हेलेन उनकी पहली बेटी थी।
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दो इन्द्रीयों का नुकसान
1882 में हेलेन के लिए सब कुछ बदल गया, उस समय हेलेन सिर्फ 19 महीने की थी, जब वह एक अज्ञात बीमारी की चपेट में आ गई। डॉक्टर ने हेलेन के पेट और मस्तिष्क में तीव्र कांजेसशन बताया। यह बीमारी आज भी एक अनसुलझी पहेली है।
कुछ समय बाद, यह बीमारी अपने आप ठीक हो गई। इस बीमारी ने हेलेन से दो सबसे महत्वपूर्ण इन्द्रियां छीन ली। हेलेन ने देखने और सुनने की क्षमता खो दी उसका जीवन अंधकार और सन्नाटे से भर गया।
जब हेलेन थोड़ा बड़ी हुई, तब उसकी एक नई दोस्त बनी जिसका नाम मार्था था जो परिवार के रसोइये की बेटी थी। मार्था से बात करने के लिए हेलन ने 60 से अधिक संकेतों को विकसित किया था।
समय के गुजरने के साथ हेलेन के अंदर गुस्सा बढ़ता जा रहा था। जब हेलेन किसी को अपनी बात समझाने में आपने आप को अक्षम पाती तो वो बहुत हताश हो जाती थी। उसका व्यवहार समय के साथ अप्रत्याशित होता जा रहा था। जब हेलन खुश होती तो उसे कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता था लेकिन जब उसे गुस्सा आता तो वो लात भी मारती थी।
एक बार हेलेन ने अपनी छोटी बहन मिल्ड्रेड (Mildred) को पालने से गिरा दिया था। उसे लगता था कि मिल्ड्रेड के आ जाने से उसके माता-पिता का प्यार उसके लिए कम हो गया है। एक दिन हेलेन ने अपनी माँ को एक कमरे में लॉक कर दिया।
हेलेन के इस व्यवहार को देखते हुए उसके माता-पिता ने उसके लिए एक शिक्षक ढूंढना शुरू कर दिया। सन 1886 में, हेलेन केलर की माँ ने एक लेख पढ़ा, जो कि एक अंधी और बेहरी लेडी, लौरा ब्रिजमैन (Laura Bridgman) की सफलतापूर्वक शिक्षा के बारे में था। इस लेख को चार्ल्स डिकेन्स (Charles Dickens) ने लिखा था।
इस लेख को पढ़कर उनकी माँ में आशा की एक किरण जागी। सुबह होते ही, हेलेन और उसके पिता बाल्टीमोर (Baltimore) के लिए रवाना हुए। ताकि वह आंख और कान के विशेषज्ञ डॉ जे. जूलियन चिसोलम (Dr. J. Julian Chisolm) से परामर्श कर सकें।
हेलेन को देखने के बाद, डॉ जे जूलियन चिसोलम (Dr. J. Julian Chisolm) ने उन्हें टेलीफोन के आविष्कारक अलेक्जेंडर ग्राहम बेल से मिलने की सलाह दी। वह उस समय अंधे और बहरे बच्चों के लिए काम करते थे।
हेलन और उनके पिता अलेक्जेंडर ग्राहम बेल से मिले। बेल ने उन्हें बोस्टन, मैसाचुसेट्स (Boston, Massachusetts) के पर्किन्स इंस्टीट्यूट जाने को कहा। वहां उनकी मुलाकात पर्किन्स इंस्टीट्यूट के निदेशक अनागनोस (Anagnos) से हुई। अनागनोस (Anagnos) ने उन्हें पर्किन्स इंस्टीट्यूट की नई ग्रेजुएट ऐनी सुलिवन के बारे में बताया। वह हेलेन को पढ़ा सकती थी।
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हेलेन केलर और ऐनी सुलिवन
3 मार्च, 1887 हेलेन केलर के जीवन का सबसे बड़ा दिन। 3 मार्च को ऐनी सुलिवन हेलेन के घर आई और उसके लिए एक गुड़िया ले आई। ऐनी सुलिवन ने हेलेन को डॉल देकर उसके हाथ पर d-o-l-l लिखा, लेकिन हेलेन को कुछ भी समझ में नहीं आया क्योंकि हेलेन शब्दों और वस्तुओं के बीच संबंध को समझ नहीं पाई।
जब हेलेन अपनी भावनाओं को दूसरों को बताने में असमर्थ पाती, तो वह निराश हो जाती थी। यही कारण है कि ऐनी सुलिवन ने कुछ दिनों के लिए परिवार से अलग होने की मांग की। हेलेन और ऐनी सुलिवन कॉटेज स्थानांतरित हो गए।
वहां, हेलेन ने पहला शब्द “वाटर” सीखा। ऐनी सुलिवन ने हेलेन का हाथ पानी की टोटी के नीचे रखा और उसके हाथ पर कई बार w-a-t-e-r लिखा। तब हेलेन ने पहली बार समझा कि इस दुनिया में हर वस्तु का एक नाम है। वहाँ हेलेन ने 30 शब्द सीखे और अब वह समझ गई कि हर शब्द का एक अर्थ होता है।
एक बार ऐनी सुलिवन हेलेन को बगीचे में ले गई, वहाँ हेलेन ने प्रकृति के बारे में जाना। खराब मौसम के कारण, बहुत तेज हवाएं चलने लगी। उसे पहली बार पता चला कि, प्रकृति जिनती प्यारी है उससे कई गुना कठोर है।
1905 में, ऐनी सुलिवन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के शिक्षक जॉन मैसी (John Macy) से शादी की। वे समाजवादी विचारधारा के व्यक्ति थे। हालांकि जॉन मैसी और ऐनी सुलिवन कुछ मतभेदों के कारण कई वर्षों के बाद एक-दूसरे से अलग हो गए, लेकिन उन्होंने कभी तलाक नहीं लिया।
1932 में, ऐनी सुलिवन ने बीमारी के कारण देखने की अपनी क्षमता खो दी और कुछ साल बाद 1936 में ऐनी सुलिवन की मृत्यु हो गई। ऐनी सुलिवन हेलेन के साथ 49 साल तक रहीं जब तक वह मर नहीं गई।
हेलेन केलर की शिक्षा
मई 1880 से, हेलेन केलर की औपचारिक शिक्षा शुरू हुई। हेलेन ने पर्किन्स इंस्टीट्यूट जाना शुरू कर दिया। 1994 से 1996 के बीच हेलन ने राईट-ह्यूमसन स्कूल में पढ़ाई की। वहाँ हेलेन ने संचार कौशल में सुधार किया और ऐकडेमिक विषयों को भी पढ़ा।
इसके बाद 1896 में हेलेन ने कैम्ब्रिज स्कूल (Cambridge School) भी ज्वाइन किया जो कि युवतियों के लिए था।
जब हेलेन केलर के संघर्ष की स्टोरी लोगों को पता चली तब बहुत से लोग उन से प्रभावित हुए। उनमें मार्क ट्वेन (Mark Twain) भी शामिल थे जो की एक लेखक थे। वह हेलेन केलर के दोस्त बन गए। ट्वैन ने अपने एक मित्र हेनरी एच रोजर्स (Henry H. Rogers) से हेलेन को मिलवाया, जो एक तेल कार्यकारी था।
रोजर्स हेलेन केलर की लगन और प्रतिभा से बहुत प्रभावित हुए। इसीलिए उन्होंने हेलेन की उच्च शिक्षा के लिए रेडक्लिफ कॉलेज (Radcliffe College) की फीस का भुगतान करने पर सहमति व्यक्त की।
बेस्ट सेलर बुक “द स्टोरी ऑफ माय लाइफ”
1903 में हेलन केलर ने “द स्टोरी ऑफ़ माय लाइफ” को प्रकाशित किया जो एक बेस्ट सेलर बुक बनी। इस पुस्तक को लिखने में, ऐनी सुलिवन और जॉन मैसी ने हेलेन की बहुत मदद की।
हेलेन ने 1904 में 24 साल की उम्र में ग्रेजुएशन पूरा किया। इस समय तक, हेलेन केलर ने संचार के विभिन्न तरीकों जैसे कि टाइपिंग, होंठों को पढ़ना (स्पर्श करके) और भाषण में महारत हासिल कर ली थी।
राजनीतिक और सामाजिक गतिविधियाँ।
ग्रेज्यूशन के बाद, हेलेन केलर ने लोगों के लिए काम करना शुरू कर दिया। हेलेन केलर उस समय तक एक प्रसिद्ध हस्ती बन गई थी। हेलेन ने हजारों लोगों को संबोधित किया, उन्हें अपने संघर्षों और अनुभवों के बारे में बताया।
ग्रेजुएशन के कुछ समय बाद ही हेलेन केलर सोशलिस्ट पार्टी में शामिल हो गईं। यहां तक कि हेलन ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार का समर्थन भी किया। 1909 से 1921 के दौरान, उन्होंने समाजवाद पर कई लेख लिखे।
1915 में, हेलेन ने जॉर्ज केसलर के साथ अमेरिकन फाउंडेशन फॉर ओवरसीज ब्लाइंड की सह-स्थापना की, जिसे आज हम हेलेन केलर इंटरनेशनल के नाम से जानते हैं। जो बच्चों के स्वास्थ्य और नेत्रहीन लोगों के लिए काम करता है। 1920 में, हेलेन केलर ने अमेरिका सिविल लिबर्टीज यूनियन (ACLU) की स्थापना में मदद की।
1924 में हेलेन अमेरिकन फेडरेशन फॉर द ब्लाइंड की एक सक्रिय सदस्य बन गई। वह अपनी मृत्यु तक इस फाउंडेशन की सक्रिय सदस्य बनी रहीं।
हेलेन ने अपने जीवनकाल में 35 देशों की यात्रा की।
पुरस्कार और सम्मान
सन 1964 में हेलेन केलर को स्वतंत्रता का राष्ट्रपति पुरस्कार (Presidential Award for Freedom) मिला। हेलेन को कई विश्वविद्यालयों से डॉक्टरेट की उपाधि भी मिली।
मृत्यु
1961 में गंभीर स्ट्रोक के बाद, हेलेन ने सामाजिक गतिविधियों को छोड़ दिया। 1 जून 1968 को सोते समय हेलेन की मृत्यु हो गई।
हेलेन ने एक उदाहरण स्थापित किया कि कड़ी मेहनत, विश्वास और धैर्य के साथ इंसान कुछ भी हासिल कर सकता है। हेलेन केलर की जीवनी हम सब के लिए प्रेणना का स्रोत है।
द मिरेकल वर्कर मूवी {The Miracle Worker}
मिरेकल वर्कर हेलेन केलर की आत्मकथा पर आधारित है, साल 1957 में रिलीज़ हुई ये फिल्म एक पुरस्कार विजेता फिल्म है।
हेलेन केलर से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?
4 चीजें जो आप हेलेन केलर से सीख सकते हैं।
“असंभव” संभव हो सकता है।
हेलेन केलर ने साबित कर दिया कि इंसान धैर्य और निरंतरता से असंभव को भी संभव कर सकता है. हेलेन इस बात का प्रतीक है कि कैसे एक व्यक्ति असंभव को संभव कर सकता है और पीढ़ियों को उसे एक आदर्श के रूप में देखने के लिए प्रेरित कर सकता है।
आपका भविष्य आप पर निर्भर है।
कुछ चीजें ऐसी होती हैं जो इंसान के हाथ में नहीं होती हैं लेकिन हमारी जिंदगी वास्तव में हमारे ही हाथों में होती है, हम उसे बना भी सकते हैं या बिगाड़ भी सकते हैं. अपनी कमियों और असफलताओं के लिए दूसरों को दोष देना आसान है, लेकिन हर चीज के लिए खुद को जिम्मेदार ठहराना मुश्किल है।
सकारात्मकता पर ध्यान दें और खुश रहें।
हेलेन केलर ने उन चुनौतियों का सामना किया जो शायद ही हममें से किसी ने की हों, लेकिन फिर भी उन्होंने अपने जीवन वह मुकाम हासिल किया जो पांच इंद्रियों से परिपूर्ण इंसानों के लिए भी कठिन है. हेलेन को उनकी लगातार सकारात्मकता के लिए जाना जाता था. हेलेन ने एक बार कहा था कि आप अपना चेहरा धूप में रखो और तुम कभी छाया नहीं देखगें।
आपके पास एक लक्ष्य होना चाहिए।
भले ही हेलेन के पास देखने और सुनने की शक्ति नहीं थी, लेकिन उसका एक लक्ष्य था कि वह दूसरों के जीवन को कैसे बेहतर बना सकती हैं. यदि व्यक्ति अपने लक्ष्यों के प्रति समर्पित है और खुद पर विश्वास रखता है, तो वह अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है।
हेलेन केलर के जीवन में ऐनी सुलिवन का महत्व
ऐनी सुलिवन एक गॉड गिफ्टेड शिक्षक थीं, ऐसा शिक्षक आज के समय में मिलना असंभव है। हेलेन केलर के जीवन में ऐनी सुलिवन की भूमिका एक शिक्षक, रक्षक और जीवन भर के मित्र की थी। ऐनी ने हेलेन को सांकेतिक भाषा का उपयोग करके संवाद करना सिखाया। जिस दिन ऐनी सुलिवन हेलेन को पढ़ाने के लिए हेलेन के घर आई थी, उस दिन को हेलेन ने अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण दिन बताया था।
हेलेन केलर की पुस्तकें
- “द स्टोरी ऑफ माय लाइफ”
- द वर्ल्ड आई लिव इन
- हेलेन केलर
- माय रिलिजन
- ऑप्टिमिसम
- द सांग ऑफ द स्टोन वॉल
- आउट ऑफ द डार्क
- शिक्षक
- लाइट इन माय डार्कनेस
- द वर्ल्ड आई लिव इन और ऑप्टिमिसम
- टू लव दिस लाइफ
- टू लव दिस लाइफ, कोटेशन बाय हेलेन केलर
- हाऊ वॉल्द आई हेल्प द वर्ल्ड
- मिडस्ट्रीम
- द की ऑफ माय लाइफ, ऑप्टिमिसम
- मिडस्ट्रीममी लेटर लाइफ
- ऑप्टिमिसम, एन एस्से
- द स्टोरी ऑफ माय लाइफ विथ हर लेटर्स
- द ओपेन डोर
- द फेथ ऑफ हेलेन केलर
- द स्टोरी ऑफ माय लाइफ एंड ऑप्टिमिसम
- द ओपेन डोर एंड आवर मार्क ट्वेन
- लेट अस बिलीव
- हेलेन केलर मैगज़ीन
- टीचर ऐनी सुलिवन
- माय लाइफ स्टोरी हेलेन केलर
- आवर ड्यूटी टू द ब्लाइंड
- हेलेन केलर जर्नल, 1936-1937
Facts About Helen Keller in Hindi
- हेलेन ने अपने पूरे जीवन में 500 से अधिक निबंध और लेख लिखे।
- हेलन की समाजवादी विचारधारा के कारण घरेलू खुफिया एजेंसी एफबीआई (FBI) ने कई वर्षों तक हेलेन केलर की निगरानी की।
- हेलेन ने सिर्फ 19 महीने की उम्र में देखने और सुनने की क्षमता खो दी थीं।
- हेलेन ने “द स्टोरी ऑफ माय लाइफ” सहित 12 पुस्तकें प्रकाशित कीं।
- ऐनी सुलिवन अपनी मृत्यु तक हेलेन के साथ रहीं।
- हेलेन केलर कला में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने वाली पहली बधिर-अंधा व्यक्ति थीं।
Helen Keller quotes in Hindi (हेलेन केलर के विचार)
“मैं जो खोज रही हूं, वह बाहर नहीं है, वह मुझमें है।”
हेलेन केलर
जीवन एक साहसी रोमांच है या कुछ भी नहीं है
हेलेन केलर
हम इस दुनिया में कुछ भी हासिल कर सकते हैं, अगर हम लंबे समय तक अपने फैसले पर अडिग रहें।
हेलेन केलर
हम बहुत कम अकेले हासिल कर सकते हैं, लेकिन एक साथ बहुत कुछ।
हेलेन केलर
निष्कर्ष (Conclusion)
हम उम्मीद करते है, आपको Helen Keller biography in Hindi और Helen Keller story in Hindi पसंद आई होगी।
लगातार पूछे जाने वाले प्रश्न
हेलन केलर का जन्म कब और कहां हुआ था?
हेलेन केलर का जन्म 27 जून 1880 को उत्तरी अलबामा के एक छोटे से शहर टस्कम्बिया में हुआ था।
हेलेन केलर की आत्मकथा का क्या नाम है?
“द स्टोरी ऑफ माय लाइफ”
हेलेन केलर की विकलांगता क्या था?
हेलेन केलर देखने और सुनने के में असमर्थ थी।
हेलेन केलर ने किस उम्र में अपनी देखने और सुनने की शक्ति खो दिया था?
जब वह 19 महीने की थीं, तब एक रहस्यमय बीमारी के कारण उनकी देखने और सुनने की शक्ति चली गई थी।
हेलेन केलर ने भारत की यात्रा कब की थी?
1955 में हेलेन केलर ने भारत का दौरा किया। उन्होंने भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू और राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद से भी मुलाकात की।
हेलेन केलर को कौन सी बीमारी थी?
हेलेन केलर की बीमारी आज भी एक अनसुलझी पहेली है, कोई नहीं जानता कि हेलेन केलर किस बीमारी से प्रभावित थी।
क्या हेलेन केलर बोल सकती थी?
हां
हेलेन केलर के जीवन से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?
हेलेन केलर ने साबित कर दिया कि इंसान धैर्य और निरंतरता से असंभव को भी संभव कर सकता है। हेलेन इस बात का प्रतीक है कि कैसे एक व्यक्ति असंभव को संभव कर सकता है और पीढ़ियों को उसे एक आदर्श के रूप में देखने के लिए प्रेरित कर सकता है।
हेलेन केलर ने सबसे पहला शब्द क्या सीखा था?
Water
हेलेन केलर के माता-पिता का क्या नाम था?
हेलेन केलर के पिता का नाम आर्थर हेनले केलर और माता का नाम केट एडम्स केलर था।
हेलेन केलर ने कितनी पुस्तकें प्रकाशित कीं?
हेलेन ने अपने जीवन में 14 पुस्तकें प्रकाशित कीं।
हेलेन केलर से हम क्या सीख सकते हैं?
1- धैर्य
2- सीखने की इच्छा (जिज्ञासा)
3- इंद्रियों का उचित उपयोग
4- कड़ी मेहनत
5- समर्पण
6- लगातार सीखना
क्या हेलेन केलर होंठ पढ़ सकती है?
हां, हेलेन को होठों को छूकर, होठों को पढ़ने में महारत हासिल थी।
हेलेन केलर की बहन का क्या नाम था?
मिल्ड्रेड केलर
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