उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ाँ का जीवन परिचय, बिस्मिल्ला खान की बायोग्राफी, कहानी और जीवनी | Bismillah Khan Biography in Hindi
उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ाँ एक प्रख्यात शहनाई वादक थे, जिन्हें शहनाई को लोकप्रिय बनाने का श्रेय दिया जाता है. उस्ताद बिस्मिल्लाह खान जी को संगीत के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए साल 2001 में भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ाँ का जीवन परिचय
पूरा नाम | उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ाँ |
अन्य नाम | कमरुद्दीन खान |
जन्म | 21 मार्च 1916 |
जन्म स्थान | डुमरांव, बिहार |
मृत्यु | 21 अगस्त 2006 (90 वर्ष की आयु में) वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत |
पेशा | संगीतज्ञ, शहनाई वादक |
स्कूल | ‘बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय’ और ‘शांतिनिकेतन’ |
पिता का नाम | पैगम्बर खान |
माता का नाम | मितन खान |
पत्नी का नाम | ज्ञात नहीं |
बच्चे | ज़मीन हुसैन, नाजिम हुसैन, नैयर हुसैन, काज़िम हुसैन, मेहताब हुसैन, सोमा घोष (दत्तक पुत्री) |
अवार्ड | ‘भारत रत्न’, ‘पद्म भूषण’, ‘पद्म श्री’, ‘पद्म विभूषण’, ‘तानसेन पुरस्कार’, ‘रोस्टम पुरस्कार’ |
उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ाँ का जीवन परिचय | Bismillah Khan Biography in Hindi
उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का जन्म 21 मार्च 1916 को डुमरांव, बिहार में हुआ था. उनका जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ था जिसकी संगीत पृष्ठभूमि थी और उनके पूर्वज भोजपुर की रियासत में संगीतकार थे. उनके पिता बिहार में डुमरांव एस्टेट के महाराजा केशव प्रसाद सिंह के दरबार में कार्यरत एक दरबारी संगीतकार थे. वे अपने माता-पिता की दूसरी संतान थे।
उनके दो दादा उस्ताद सालार हुसैन खान और रसूल बक्स खान भी डुमरांव महल में संगीतकार थे. जन्म के समय उनका नाम कमरुद्दीन खान रखा गया था, उनके बड़े भाई के नाम शम्सुद्दीन खान के साथ तुकबंदी की गई थी. लेकिन बाद में उनका नाम “बिस्मिल्लाह”, “अल्लाह के नाम पर” रखा गया।
छह साल की उम्र में, वह काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़े एक शहनाई वादक, अपने मामा अली बक्स ‘विलयतु’ खान के साथ प्रशिक्षु होने के लिए वाराणसी, उत्तर प्रदेश आ गए।
करियर {Career}
14 साल की उम्र में बिस्मिल्लाह खान ने अपने चाचा के साथ पहली बार इलाहाबाद के संगीत परिषद् में शहनाई बजाने का कार्यक्रम किया था. उन्हें अपना पहला बड़ा ब्रेक 1937 में मिला, जब उन्होंने कलकत्ता में अखिल भारतीय संगीत सम्मेलन में एक संगीत कार्यक्रम में भाग लिया।
अपने शानदार करियर के दौरान उन्होंने दुनिया भर में कई प्रमुख आयोजनों में भाग लिया. बिस्मिल्लाह खान को वर्ष 1947 में भारत की स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर अपनी शहनाई बजाने का दुर्लभ सम्मान मिला था।
उन्हें भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने दिल्ली के लाल किले में पहले स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त 1947) पर शहनाई बजाने के लिए आमंत्रित किया था।
उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ां ने न सिर्फ खुद को एक प्रसिद्ध शहनाई वादक के रुप में स्थापित किया बल्कि शहनाई को भी संगीत की दुनिया में एक अलग पहचान दिलवाई।
मृत्यु {Death}
17 अगस्त 2006 को, बिस्मिल्लाह खान की तबीयत बिगड़ गई और उन्हें इलाज के लिए वाराणसी के हेरिटेज अस्पताल में भर्ती कराया गया. 21 अगस्त 2006 को हृदय गति रुकने से उनका निधन हो गया।
उनके निधन पर भारत सरकार ने राष्ट्रीय शोक दिवस की घोषणा की थी. उन्हें उनकी शहनाई के साथ फातेमेन कब्रिस्तान, वाराणसी में एक नीम के पेड़ के नीचे दफनाया गया था. उनके दफन समारोह को भारतीय सेना से 21 तोपों की सलामी का राष्ट्रीय गौरव प्राप्त हुआ था।
उनका कहना था की, “सिर्फ संगीत ही है, जो इस देश की विरासत और तहज़ीब को एकाकार करने की ताक़त रखता है”।
पुरस्कार और सम्मान {Awards & Honours}
2001 में, उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
संगीत की दुनिया में शहनाई को एक अलग पहचान दिलवाने वाले बिस्मिल्लाह खां जी को 1961 में भारत के प्रतिष्ठित पुरस्कार पद्म श्री से नवाजा गया था।
वर्ष 1968 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
1980 में उस्ताद बिस्मिल्लाह खान जी को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
बिस्मिल्लाह खां जी को संगीत के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए मध्य प्रदेश सरकार द्वारा तानसेन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
1995 में, उन्हें कर्नाटक सरकार द्वारा टी चौदय्या राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
1998 में, उन्हें केरल सरकार द्वारा स्वाति संगीत पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
संगीत नाटक अकादमी के फेलो (1994)
तलार मौसिकी – यह पुरस्कार उन्हें वर्ष 1992 में ईरान गणराज्य द्वारा दिया गया था।
संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (1956)
सम्मान
बिस्मिल्लाह खान ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि से प्राप्त की.
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी
विश्व भारती विश्वविद्यालय, शांतिनिकेतन
उन्हें भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने दिल्ली के लाल किले में पहले स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त 1947) पर शहनाई बजाने के लिए आमंत्रित किया था।
उन्होंने कान्स आर्ट फेस्टिवल में हिस्सा लिया गया था।
संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली ने उनके सम्मान में 2007 में उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार की स्थापना की थी।
21 मार्च 2018 को गूगल ने उनके 102वें जन्मदिन पर उन्हें गूगल डूडल बनाकर सम्मानित किया था।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
बिस्मिल्लाह खान का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का जन्म 21 मार्च 1916 को डुमरांव, बिहार में हुआ था।
उस्ताद बिस्मिल्लाह खान क्या बजाते थे?
उस्ताद बिस्मिल्लाह खान शहनाई बजाते थे।
बिस्मिल्लाह खान कौन थे?
उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ां एक प्रख्यात शहनाई वादक थे।
1947 स्वतंत्रता दिवस में शहनाई वादक कौन थे?
उस्ताद बिस्मिल्लाह खान
बिस्मिल्लाह खान के गुरु का क्या नाम था?
उन्होंने अपने मामा अली बख्श ‘विलायती’ से शहनाई बजाना सीखा था।
बिस्मिल्लाह खान के बचपन का नाम क्या था?
उनका बचपन का नाम कमरुद्दीन खान था।
बिस्मिल्लाह खां नमाज की प्रार्थना में अल्लाह से क्या मांगते थे?
बिस्मिल्लाह खां नमाज़ पढ़ते हुए खुदा से सच्चे सुर की कामना करते थे. वे अपनी शहनाई की प्रशंसा को भी खुदा को समर्पित करते थे।
बिस्मिल्लाह खान के पिता का क्या नाम था?
बिस्मिल्लाह खान के पिता का नाम पैगम्बर खान था।
बिस्मिल्लाह खान की मृत्यु कब हुई थी?
21 अगस्त 2006 को 90 वर्ष की आयु में बिस्मिल्लाह खान का निधन हो गया था।
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बिशमिल्ला खान का संगीत के छेत्र में योगदान
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