वैश्वीकरण के फायदे और नुकसान।


वैश्वीकरण क्या है?

वैश्वीकरण – वैश्वीकरण का अर्थ है दुनिया भर में वस्तुओं और सेवाओं, प्रौद्योगिकियों और सांस्कृतिक प्रथाओं का त्वरित आदान-प्रदान। वैश्वीकरण को भूमंडलीकरण के नाम से भी जाना जाता है।

वैश्वीकरण के फायदे और नुकसान

वैश्वीकरण के फायदे और नुकसान।
वैश्वीकरण के फायदे और नुकसान।

वैश्वीकरण के गुण और दोष (Advantages and Disadvantages of Globalization in Hindi)
वैश्वीकरण के फायदे (गुण)

1- निवेश

वैश्वीकरण के कारण अंतर्राष्ट्रीय निवेश बढ़ा है, जो किसी भी देश के आर्थिक विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। अगर हम इसे निवेशकों के दृष्टिकोण से देखें, तो यह उनके लिए भी लाभदायक है, जिसके कारण निवेशक अपने निवेश में विविधता ला सकते हैं। 

उदाहरण – यदि हम भारत में निवेश के आंकड़ों पर नजर डालें तो 1991 में, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) भारत के सकल घरेलू उत्पाद का केवल 0.1% था। लेकिन 2017 के आंकड़ों के अनुसार, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) भारत की जीडीपी का 2% तक पहुंच गया है।

2- युद्ध की संभावना कम हो गई

आज हर देश आपूर्ति श्रृंखला के माध्यम से जुड़ा हुआ है। आपूर्ति श्रृंखला से जुड़े होने के कारण, हर देश का हित दूसरे देश में है। परिणामस्वरूप, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में वृद्धि हुई और आपूर्ति-श्रृंखला लिंकेज के कारण युद्ध की संभावना भी कम हो गई।

3- विश्व एकल बाजार के रूप में 

वैश्वीकरण के पीछे विचार यह था कि दुनिया को एकल बाजार के रूप में कार्य करना चाहिए। दुनिया में आयात शुल्क कम किया जाना चाहिए और व्यापार को बढ़ावा दिया जाए ताकि व्यापार करना आसान हो और माल और सेवाएं एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से पहुंच सकें। 

4- उपभोक्ताओं को लाभ

वैश्वीकरण के कारण, दुनियां एक एकल बाजार की तरह है, जहां न केवल घरेलू कंपनियां बल्कि कई विदेशी कंपनियां भी हैं। आज, यदि आप एक उत्पाद खरीदना चाहते हैं, तो आपके पास बहुत सारे विकल्प हैं, आप किसी विदेशी कंपनी का भी उत्पाद खरीद सकते हैं। प्रतिस्पर्धा के कारण उत्पाद सस्ते होने के साथ-साथ उनकी गुणवत्ता भी अधिक है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि वैश्वीकरण से उपभोक्ताओं को सबसे अधिक लाभ हुआ है।

5- रोजगार के अधिक अवसर

उदाहरण के लिए – भारत आज प्रेषण (Remittances) का सबसे बड़ा रिसीवर है। विदेशो में काम करने वाले भारतीयों द्वारा भारत मे भेजा गया पैसा जिसे हम प्रेषण (Remittances) कहते है। 1991 में, 2.1 बिलियन डॉलर का रेमिटेंस भारत में आया था, लेकिन 2017 के आंकड़ों के अनुसार, भारत में रेमिटेंस, 68 बिलियन डॉलर तक पहुंच चुका है।

6- यात्रा

वैश्वीकरण के कारण, एक देश से दूसरे देश की यात्रा करना आसान हो गया, जिसके कारण पर्यटन में वृद्धि हुई, आज कई छोटे देशों की अर्थव्यवस्था काफी हद तक पर्यटन पर निर्भर करती है।

7- जीवन-स्तर में वृद्धि

वैश्वीकरण के कारण, लोगों के जीवन स्तर में भी वृद्धि हुई है।

वैश्वीकरण के अन्य लाभ

  • देशों के बीच कनेक्टिविटी और संचार में सुधार।
  • देशों के बीच व्यापार बढ़ा।
  • प्रतिस्पर्धा के कारण नवाचार बढ़ा।
  • गरीबी में कमी
  • रोजगार बढ़ा
  • उत्पादन में वृद्धि

वैश्वीकरण के नुकसान (दोष)

1- भविष्य में नए वायरस के फैलने की संभावना बढ़ गई

वैश्वीकरण के कारण, करोड़ों लोग एक देश से दूसरे देश की यात्रा करते हैं। यही कारण है कि कोरोना वायरस आज दुनिया भर में फैल गया है। भविष्य में भी कोई बड़ी बात नही है कि ये दुनिया कोई नए वायरस का सामना करे।

2- आपूर्ति श्रृंखला और व्यापार का दुरुपयोग  

आज हम एक नए प्रकार की भू-राजनीति देख रहें हैं। आज कई देश दूसरे देशों की निर्भरता का लाभ उठा रहे हैं, व्यापार और आपूर्ति श्रृंखला का उपयोग भू-राजनीति में किया जा रहा है।

उदाहरण के लिए – ऑस्ट्रेलिया ने हाल ही में कोरोना वायरस की उत्पत्ति के संबंध में चीन में एक जांच का समर्थन किया था। ऑस्ट्रेलिया काफी हद तक चीन पर निर्भर है, ऑस्ट्रेलिया के लिए चीन एक बहुत बड़ा बाजार है। इसका फायदा उठाते हुए चीन ने ऑस्ट्रेलिया से कुछ उत्पादों का बहिष्कार शुरू कर दिया।

3- पर्यटन के कारण प्रदूषण

प्रदूषण भी एक बड़ा खतरा है, बहुत से लोग पहाड़ों पर जाते हैं, या समुद्र तट पर घूमने जाते हैं, उन जगहों पर प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है।

4- देशों के बीच असमानता बढ़ी

कुछ लोग मानते हैं कि विकसित देश वैश्वीकरण के कारण अधिक धनी होते जा रहे हैं, और विकासशील देशों को एक बाजार के रूप में उपयोग कर रहे है।

5- ब्लू चिप कंपनियों की बढ़ती ताकत  

वैश्वीकरण के कारण बहुत बड़ी (ब्लू चिप) कंपनियों का वर्चस्व बढ़ रहा है। इसके कारण, एकाधिकार का खतरा भी बढ़ रहा है और कुछ लोगों के पास बहुत अधिक संपत्ति आ गई है। इससे भविष्य में समाज में असमानता पैदा हो सकती है।

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