10 Lines on Mangal Pandey in Hindi | मंगल पांडे पर 10 लाइन

10 Lines on Mangal Pandey in Hindi | मंगल पांडे पर 10 लाइन 

मंगल पांडे एक भारतीय सैनिक थे जिन्होंने 1857 में भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 

मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई 1827 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में हुआ था। 

उनके पिता का नाम दिवाकर पांडे था। 

मंगल पांडे ईस्ट इंडिया कंपनी की 34वीं बंगाल इंफेन्ट्री के सिपाही थे। 

उन्होंने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की बंगाल नेटिव इन्फैंट्री रेजिमेंट में एक सिपाही (सैनिक) के रूप में कार्य किया। 

मंगल पांडे ने गाय और सुअर की चर्बी से बने कारतूसों का उपयोग करने से इनकार कर दिया। उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि इससे हिंदू और मुसलमानों की धार्मिक भावनाएं आहत हुईं थीं। 

29 मार्च 1857 को उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह का नेतृत्व किया। 

मंगल पांडे के कार्यों ने अन्य भारतीय सैनिकों को अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित किया। 

बाद में उन्हें पकड़ लिया गया और फिर मौत की सजा सुनाई गई।

उन्होंने खुले तौर पर विद्रोह में अपनी भूमिका स्वीकार की और स्वतंत्रता की इच्छा व्यक्त की।

8 अप्रैल 1857 को मंगल पांडे को फाँसी दे दी गई। 

आज मंगल पांडे को एक वीर स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद किया जाता है। 

जिस स्थान पर मंगल पांडे को फाँसी दी गई थी उसे अब ‘शहीद मंगल पांडे महा उद्यान’ के नाम से जाना जाता है। 

10 Lines on Mangal Pandey in Hindi | मंगल पांडे पर 10 लाइन 

मंगल पांडे एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे।

उन्होंने 1857 में भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई 1827 को उत्तर प्रदेश के एक गाँव नगवा में हुआ था।  

उनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। 

मंगल पाण्डेय सन् 1849 में महज 22 साल की उम्र में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना मे बंगाल नेटिव इन्फेंट्री की 34वी बटालियन में शामिल हुए थे।  

29 मार्च 1857 को, उन्होंने गाय और सुअर की चर्बी से बनी नई एनफील्ड राइफल कारतूसों के इस्तेमाल के खिलाफ विद्रोह कर दिया, क्योंकि इससे हिंदू और मुस्लिम सैनिक नाराज हो गए थे। 

1857 में, उन्होंने बैरकपुर, वर्तमान पश्चिम बंगाल में ब्रिटिश अधिकारियों के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया। 

मंगल पांडे को पकड़ लिया गया और बाद में 8 अप्रैल 1857 को फाँसी दे दी गई। 

जब उन्हें फाँसी दी गई तब उनकी उम्र 30 वर्ष थी। 

मंगल पांडे पर एक फिल्म भी बन चुकी है जिसमें आमिर खान ने मंगल पांडे का किरदार निभाया था।  

आज उन्हें राष्ट्रीय नायक के रूप में याद किया जाता है। 

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